जिले में 85 हजार पात्र किसान अभी भी कर्ज माफी के इंतजार में बैठे हैं। जिनकी एक रुपए की भी कर्जमाफी नहीं हुई है। खरीफ की फसल खराब होने और कर्ज माफ न होने से किसानों की आर्थिक स्थिति खराब हो गई है, जिससे उन्हें अब रबी की फसल की बोवनी के लिए अपनी बहू-बेटियों के जेवर गिरवी रखकर कर्ज लेना पड़ रहा है। इससे किसानों की हित की बात करने वालों पर सवाल खड़े होने लगे हैं।
जिले में 30 मार्च 2018 के पहले कर्ज लेने वाले कर्जमाफी के लिए पात्र किसानों की संख्या 1 लाख 31 हजार थी। इसमें से महज 45 हजार किसानों का ही 10 महीने में कर्ज माफ हो पाया है। इनमें भी ऐसे किसान बड़ी संख्या में है, जिनमें से किसी का 1 हजार तो किसी का 2 हजार रुपए का ही कर्ज माफ हो पाया है। इस तरह से जिले में कुल 10 करोड़ रुपए का ही कर्ज माफ हुआ है। जिले में अभी 85 हजार 45 किसानों का कर्ज माफ नहीं हुआ है। जिम्मेदारों के मुताबिक 45 हजार किसानों का कर्ज अब दूसरे राउंड में माफ होना है। लेकिन कब तक हो पाएगा इसकी कोई जानकारी तक नहीं दे पा रहा है।
कर्ज में दबे किसानों को नगद में लेना पड़ रहा यूरिया
पहले सहकारी समितियों से किसानों को बैंक खातों के आधार पर उधारी में खाद मिल जाता था। इस राशि को किसान फसल आने पर ब्याज सहित चुकता कर देते थे। लेकिन इस बार किसानों के ऊपर गंभीर आर्थिक संकट होने के बावजूद एक आदेश जारी कर दिया गया है कि नगद राशि जमा करने पर ही किसानों को यूरिया दिया जाएगा। इसके बाद सहकारी समितियां हों या मार्कफेड की गोडाउन, सभी जगह निजी दुकानों की तरह किसानों को यूरिया के लिए नगद राशि चुकाना पड़ रही है।
बेटी के जेवर गिरवी रखने पड़े
उदयपुरा के कैकड़ा गांव में रहने वाले किसान गोविंद लोधी के मुताबिक बेटी के विवाह में उनके ऊपर 4 लाख रु. का कर्ज हो गया। उसके बाद उन्होंने अपनी 10 एकड़ जमीन में अरहर, मूंग और धान की बोवनी की। अच्छी फसल की उम्मीद थी। लेकिन अतिवृष्टि से 4 एकड़ जमीन में बोई गई अरहर और 3 एकड़ की मूंग पूरी तरह से नष्ट हो गई। इससे एक लाख का कर्ज चढ़ गया। 3 एकड़ जमीन में धान की बोवनी की इसमें 60 हजार की लागत आई। धान का उत्पादन मिला 24 क्विंटल जो बमुश्किल 48 हजार रु. में बिकी। खरीफ की फसल तक ही गोविंद पर 5 लाख का कर्ज चढ़ चुका था। गोविंदसिंह ने अपने बेटी के सोने के कड़े गिरवी रखकर कर्ज लिया तब जाकर वे रबी की फसल के लिए खाद और बीज खरीद पाए हैं। कर्जमाफी नहीं हुई इसलिए बैंक से भी पैसा नहीं मिल पा रहा है